tag:blogger.com,1999:blog-7543801132411478925.post2218747451545796839..comments2024-02-25T09:48:30.846+05:30Comments on ME & MY THOUGHTS: 167. To Deserve The Help Is Also Karma Phala!!!!!!!!!!!Sreeram Manoj Kumarhttp://www.blogger.com/profile/01995333646873213556noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7543801132411478925.post-61091455106107661092014-10-26T09:14:41.636+05:302014-10-26T09:14:41.636+05:30भगवानने पहलेही एक शिख देदी के तेरा मन-बुध्धी तू मु... <br />भगवानने पहलेही एक शिख देदी के तेरा मन-बुध्धी तू मुजमे लगा और कर्म का अधिकारी बन | जिसका तात्पर्य यहाँ यह निकला के हे जीव तू है तो मन-बुध्धि, इन्द्रिय शरीर है अगर इस तू(जीव)को आत्मा में जोडके "कारण राम(प्राण) शॉर्टफॉर्म(कर्म)" आत्म ध्यानी कारण वार शॉर्टफॉर्म(अधिकारी) जो ज्ञान है |<br />बिनावजहही इन्सान अपने आपको अलगथलग कर रहा है उस पारब्रह्म परमातमासे, अल्लाहसे जबके भगवद् गीता मेँ भगवानाने बता दिया यहा सर्व सर्वेश्वर ही मैहीमै हू| जोभी इन्सान यह सोचके कर्म कर रहा है के वह सभी मेरे लीयेही है तो यह सोचेके भगवानने पहले ही सब कर्मोकाभार अपने उपरलेके रखे है| नाहक अपने आपको दुखी ना करे और भगवानसे अपनेको जोड़े रखे प्राणायमा और ध्याँनसे|<br />तुम सच जानना होगा और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा !!! <br />हमारा ईश्वर बहुत जीवित है और असली और अद्भुत भगवान धन्यवाद इतना ऑसम है !!!<br />१. प्रज्ञानं ब्रह्म (ऐतरेय उपनिषद ३/५/३)<br />ब्रह्म शुद्ध ज्ञान स्वरूप है<br />२. अहम् ब्रह्मास्मि (शतपथ ब्राह्मण ४/३/२/२१)<br />मै ब्रह्म हूँ<br />३. तत् त्वमसि (छान्दोग्य उपनिषद ६/८/७)<br />वह ब्रह्म तुम हो<br />४. अयमात्मा ब्रह्म (माण्डूक्योपनिषद २)<br />यह आत्मा ब्रह्म है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02057588181456382402noreply@blogger.com