tag:blogger.com,1999:blog-7543801132411478925.post4512255935559418512..comments2024-02-25T09:48:30.846+05:30Comments on ME & MY THOUGHTS: 545. The Gist of Gita to Live a Gentle Life….!Sreeram Manoj Kumarhttp://www.blogger.com/profile/01995333646873213556noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7543801132411478925.post-8596682628986817572014-09-02T07:12:26.224+05:302014-09-02T07:12:26.224+05:30सदगुरुजीकी वाणी अमुल्य वाणी एक मुर्देको एक व्यक्ति...सदगुरुजीकी वाणी अमुल्य वाणी एक मुर्देको एक व्यक्ति हार पहना रहा था उसे देख कर गुरुर्जी बोले मुआ पछी लोको तेने संत बनावे जीतेजी खुद अगर यह हार मानलेताके यह शरीरके सारे के सारे कार्य बिना सांसके मुमकिन नहि है इस सांसके मालिक से एक बार मुलाकात करलुं तो जीतेजीहे संत बन जाता और मनुष्य जन्मका ध्येयभी पूरा हो जाता। सांसोपे ध्यान प्राणायम और चितको एकाग्र करे, खुद चेतन स्वरुप पर तो पता चलेकी सत चित आनंद रुप अमारु परम प्राणथी पण प्यारु।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02057588181456382402noreply@blogger.com